हाल
है बेहाल
बेहताशा
बेचैनी रहती है
है बेहाल
बेहताशा
बेचैनी रहती है
आजकल कलम
गोते लगाती हूँ
शब्दों के समुद्र में
मगर शब्द भी है रूठे रूठे
लहरो सी है डायरी
जिसके कोरे पन्नों में ढूँढती फिरती हूँ
छुपे अल्फाज़
जो मेरी सबसे अच्छी सखी है
जाने क्यूँ वो रहती है
मुझसे रूठी रूठी
जाने क्यूँ वो रहती है
मुझसे रूठी रूठी
गोते लगाती हूँ
शब्दों के समुद्र में
मगर शब्द भी है रूठे रूठे
लहरो सी है डायरी
जिसके कोरे पन्नों में ढूँढती फिरती हूँ
छुपे अल्फाज़
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