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Saturday 31 July 2021

तिलिस्म

कोई तिलिस्म है जो मुझे तुममें रहने को विवश करता है, इस विवशता को दुख से मत जोड़ना ,कोई विषाद मत आंकना ,बस कुछ है जो रहने को विवश करता है 
पता है इतनी तो मैंने यात्राएं भी नहीं की  जितनी कि तुम में  अनेक यात्राएं कर ली और इन यात्राओं में मुझमे रोज़ नयी मुस्कुराहट कौंध जाती है, मैं सच में तुम्हें अपने करीब देखना चाहती हूं इतना कि  
     एक ही बिस्तर पर तुम्हारी तरफ़ करवट लेकर तुम्हें निहारते निहारते सोना और सुबह निहारते हुए उठना 
     हां उस बीच  रात के उस पहर में अगर  तुम मुझे चूम लेते हो तो मुझे रत्तीभर भी बुरा नहीं लगेगा बल्कि तुम्हारे करीब होने का  वो तिलिस्म मेरे अंदर और मजबूती से जम जाएगा 
विभा परमार

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