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Saturday 17 October 2015

भोपाल..


भोपाल...इक ऐसा अहसास जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यहा की वादियाँ दिल को रोमांचित कर देती है और मौसम भी बराबर रहता है ना ज्यादा गर्मी और ना ज्यादा ठण्ड। 


शायद इसीलिये मैं अब तक यहां से ना जा पाई या यूँ कहे कि मैं यहाँ से जाना नहीं चाहती।  कहा जाता है हम मुसाफिरों को अजनबी शहर से मोह लगाना नहीं चाहिए और सही बात भी है, कब छोड़ना पड़ जाये यह पता नहीं, ऐसे में दिल तो अपना  टूटना ही है। 

भोपाल एक प्रेमी की तरह है और इससे मोहब्बत होना कोई अचम्भित नहीं करता कोई अपने प्रेम को छोड़ता नहीं बल्कि अपनी जां तक निसार कर देता है।

 ये बाते जितनी बेतुकी लग सकती है, इसमे सच्चाई भी उतनी ही है।  यहां कोई भी आ जाये सबको दिवाना बना देता है ये भोपाल। रास्तें, सड़के बड़ा अलग सुकून पहुँचाती है और जब बारिश हो तो इससे खूबसूरत कोई और लग ही नहीं सकती। ठण्डी ठण्डी सर्द हवाये यकीनन सभी को फ्लैश बैक में जाने को जरूर मजबूर करेंगी। ऐसे में  किसी को अपने खुशनुमा पल याद आये बिना  नहीं रह सकेगे । बहुत से लोगों को शायद असहमति हो सकती है, पर उनका भी मन  रोमांचित हुए बिना नहीं रह सकता, यहां के रूमानी मौसम को देखकर...

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