Search This Blog

Thursday 15 December 2016

साल जी (दोस्त)

गुज़र रहा है हर पल, हर वक्त, हर साल। 
अजीब भी है और कश्मकश भी कि हर साल की तरह ये साल भी जा रहा और एक नया साल दस्तक दे रहा है । अरे अभी अभी की तो बात ही थी तुम्हें आये हुए और इतनी जल्दी तुम्हारा जाने का वक्त भी हो चला साल 2016 ।
 ऐसी ही कश्मकश सबको रहती होगी ना] कितनी शिकायतें, कितनी खुशियाँ, कितने ज़ज्बात दबा रखें होंगे। कितनी लड़ाई की होगी ना नये साल से कि तुम्हारी वजह से मेरा पिछला साल चला गया, कुछ दिनों तक पिछले वाले साल को मिस भी किया होगा। 
फिर धीरे धीरे इस नये साल ने तुम्हारे दिल पर अपना कब्ज़ा ज़मा लिया और अब इसके जाने का भी वक्त हो चला ये क्या अब तो साल जी आपके लिए एक गाना याद आ रहा है कि "अभी ना जाओ छोड़ के कि दिल अभी भरा नहीं" आजकल दिल ही नहीं आँखें भी भर आती है। 
  तुम्हारे जाने के डर से और सोचते है कि काश तुम बिछड़ते तो उम्मीद भी रहती तुम्हारे मिलने की मगर तुम तो जा रहे हो हमेशा हमेशा के लिए! अब तुम ही बताओ कैसे तुम्हें गुड बाय कहूँ पहले अपनी मर्ज़ी से आते हो और अपनी मर्ज़ी से चले जाते हो साल तुम्हें याद है जब तुम आये थे जनवरी की पहली तारीख को तुमसे मेरी कितनी रंजिश थी क्यूँ कि तुमसे पहले भी मेरा एक साल दोस्त चला गया और ना जाने उससे पहले वाले कितने साल (दोस्त)। 
कभी कभी लगता है कि ये कैसा संजोग है यहां साल जाते है, लोग जाते है, वक्त जाता है, उम्र जाती है, सबकुछ तो जाता ही है। बड़ी विडंबना है ये और इन्हीं विडंबनाओं में विशेषताएँ भी है। सबसे बड़ी विशेषता यही है कि जो आया है वो जायेगा ज़रूर बस कुछ का समय निश्चित है और कुछ का अनिश्चित।
 मगर हर कोई किसी ना किसी वजह से इन गुज़रे सालों को याद रखता है। अपने अपने अनुभवों के आधार पर आने जाने पर ही कितने ग्रंथ, कितनी किताबें लिखी जा चुकी है। बता रखा है कि इतना मोह मत करो। ये सच्चाई भी है और तर्क भी मगर फिर भी टिक टिक तो होती ही है ना, हम सेलिब्रेशन भी करते है और दुख भी मनाते है। 
खैर, फिर से दिल में टिक टिक हो रही है और दीवार पर लगी घड़ी की सुईयों की रफ्तार तेज़ जो इशारे में बता रही कि ये साल भी पिछले साल की तरह निकल रहा है और हम बस उसके इशारे को महसूस कर रहे मगर रोक नहीं पा रहे, ऐसे ही हम सबको भी ढँलना है इन सालों की तरह ही। 
 अलविदा 2016

No comments:

Post a Comment