मेरे अन्दर
चलता रहता है
एक अन्तर्द्वन्द
जैसे हवा चलती है,
पानी बहता है
और साँसें चलती है
सोचता हूँ अक्सर
अगर हवा रुक जाये तो
दम घुटता है
पानी रुक जाये तो
सड़ जाता है
सांस रुक जाये
तो मौत हो जाती है
मगर मेरे अन्दर का
अन्तर्द्वन्द चलता रहता है
आखिर ये क्यूँ नहीं रुकता
कभी सवालों को लेकर
कभी मिले जवाबों को लेकर
रास्ते से गुज़रकर हर ठोकर से पूछता हूँ
कई दिन से भूखे उस गरीब की भूख से पूछता हूँ
कि मेरे अंदर का अन्तर्द्वन्द
खत्म क्यूँ नहीं होता
जब रास्तों की मंज़िल मिल जाती है
जब बेमानी से ज़रूरते पूरी हो जाती है
जब झूठ को सच समझ लिया जाता है
तो मेरे अन्दर का अन्तर्द्वन्द
शांत क्यूँ नहीं होता
आखिर क्यूँ
हमेशा खुद को
अन्तर्द्वन्द के अँधेरों में पाया
जो रोज़ हर रोज़ बढ़ता रहता है
कहीं कोई उजाला नहीं दिखता
सिर्फ़ दिखता है मेरे अंदर का
एक अन्तर्द्वन्द
चलता रहता है
एक अन्तर्द्वन्द
जैसे हवा चलती है,
पानी बहता है
और साँसें चलती है
सोचता हूँ अक्सर
अगर हवा रुक जाये तो
दम घुटता है
पानी रुक जाये तो
सड़ जाता है
सांस रुक जाये
तो मौत हो जाती है
मगर मेरे अन्दर का
अन्तर्द्वन्द चलता रहता है
आखिर ये क्यूँ नहीं रुकता
कभी सवालों को लेकर
कभी मिले जवाबों को लेकर
रास्ते से गुज़रकर हर ठोकर से पूछता हूँ
कई दिन से भूखे उस गरीब की भूख से पूछता हूँ
कि मेरे अंदर का अन्तर्द्वन्द
खत्म क्यूँ नहीं होता
जब रास्तों की मंज़िल मिल जाती है
जब बेमानी से ज़रूरते पूरी हो जाती है
जब झूठ को सच समझ लिया जाता है
तो मेरे अन्दर का अन्तर्द्वन्द
शांत क्यूँ नहीं होता
आखिर क्यूँ
हमेशा खुद को
अन्तर्द्वन्द के अँधेरों में पाया
जो रोज़ हर रोज़ बढ़ता रहता है
कहीं कोई उजाला नहीं दिखता
सिर्फ़ दिखता है मेरे अंदर का
एक अन्तर्द्वन्द
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