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Tuesday 11 July 2017

भीगीं यादें

तुम्हारा और  मेरा मिलना
इत्तेफाक तो कभी नहीं रहा
ना तुम्हारे लिए
और ना ही मेरे लिए
सोंधी सोंधी मोहब्बत की मिश्री
धीरे धीरे  घुलने लगी
नज़रों से शुरू मोहब्बत
बातों तक पहुंची
ये बातें नज़दीकियों में कब तब्दील हो गई
इसके लिए तुम्हारा और मेरा बोलना ज़रूरी तो नहीं
तुम्हारा चूमना सिर्फ़ मेरे देह को चूमने तक सीमित नहीं था ,बल्कि मेरी आत्मा तक पहुंचना था
तुम्हारा स्पर्श, तुम्हारी बातें,
और तुम्हारी नज़रों में मेरे लिए
प्रेम सिर्फ़ चंद दिनों की नुमाईश नहीं बल्कि
जिंदगीभर भीगी यादें है।
विभा परमार

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