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Monday, 11 July 2016

शीशे सा दिल

सख्त हो गए
या शुरू से थे
पत्थर से तुम कभी,
मोम की तरह पिघलना
बहुत कम बोलना
मगर अच्छा बोलना
मेरी हर बात का
मजाकिया जवाब देना
मालूम है हमको
तुम्हारा सब कुछ समझना
मगर मेरे सामनने
ना समझी दिखाना
फ र्क तुम्हें भी पड़ता होगा,
कभी-कभी मेरा ख्याल
भी आता होगा
दिल की गूंजती आवाज को
शातिर दिमाग से खामोश कराना,
अपनी या मेरी
मोहब्बत पर
विराम लगाना
शीशे से दिल को पहले छूना
और फिर छूकर
चकनाचूर कर देना

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