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Sunday, 13 March 2022

चुना

 वे कठिनाईयां बतलाते रहे ज़िन्दगी की ,ज़रूरतों की 

उन्होंने घूंट पिए शराब के और कश भी लगाए सिगरेट के

उस वक्त गुस्सा किया परिवार पर लगे सामाजिक बंधनों का 

कुछ वक्त जीभर कर गालियां भी दी उन दोस्तों को जो कक्षा में उनसे पीछे रहा करते थे

उन्होंने भावुक होकर बतलाया समाज में घटित घटनाओं  को 

वे कई बार छलके भी  उन फिल्मों को देखकर जिसमें बात कही गई सही और ग़लत की 

  आसान सी कुछ बातें जिसमें सिर्फ़ ज़िंदगी भर साथ चलने को कहा उन्हें दकियानूसी लगी 

उन्होंने सलाहें दी ,झूठ के खिलाफ लड़ने की 

सच के साथ रहने की 

मुझमे कठिनाई भरकर 

 उन्होंने हमसफ़र नहीं बस हमबिस्तर होना चुना!

विभा परमार

छायाचित्र- गूगल से जिसने भी बनाया कमाल बनाया (नाम मालूम नहीं हमें)





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