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Saturday 18 March 2017

शीशे सा दिल!

शीशे सा दिल!!! 
सख्त हो गये, या 
शुरू से थे पत्थर तुम
कभी मोम की तरह पिघलना, 
बहुत कम बोलना,
मगर अच्छा बोलना 
मेरी हर बात का मज़ाकिया जवाब देना!
मालुम है हमको!!! 
तुम्हारा सबकुछ समझना, 
मगर मेरे सामने नासमझी दिखाना,
फर्क़ तुम्हें भी पड़ता होगा, 
कभी कभी जब मेरा ख्याल आता होगा, 
 दिल की गूँजती आवाज़ को 
 शातिर दिमाग से ख़ामोश कराना, 
अपनी या मेरी मोहब्बत पर, 
विराम चिह्न लगाना 
शीशे से दिल को पहले छूना 
 और फिर
 छूकर चकनाचूर करना!
विभा परमार

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